ड्रोन चोर क्या है?

Pushpendra Singh
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Drone thief

ड्रोन चोर क्या है?


"ड्रोन चोर" एक ऐसा शब्द है जो हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश, खासकर पश्चिमी यूपी के ग्रामीण इलाकों में चर्चा में रहा है। यह उन कथित चोरों को संदर्भित करता है, जो ड्रोन का उपयोग करके घरों और गांवों की रेकी (सर्वे) करते हैं और फिर चोरी की वारदात को अंजाम देते हैं। यह अवधारणा लोगों के बीच डर और अफवाह का कारण बनी हुई है, विशेष रूप से अमरोहा, मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर, संभल और बरेली जैसे जिलों में।


वर्तमान में क्या है स्थिति: अफवाह या हकीकत?

वर्तमान में "ड्रोन चोर" की कहानी मुख्य रूप से एक अफवाह के रूप में सामने आ रही है, हालांकि इसने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 1000 से अधिक गांवों में दहशत फैला दी है। नीचे इस मामले को विस्तार से समझाया गया है:


अफवाह का आधार


ड्रोन की रोशनी और दहशत: ग्रामीणों का दावा है कि रात के समय आसमान में चमकती रोशनी वाले ड्रोन दिखाई देते हैं। उनका मानना है कि ये ड्रोन चोरों द्वारा उड़ाए जा रहे हैं, जो घरों की स्थिति, संपत्ति, और सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी इकट्ठा करते हैं। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि ये चोर ड्रोन की मदद से रेकी करने के बाद चोरी, लूटपाट, महिलाओं से बदसलूकी, और विरोध करने पर हत्या तक कर सकते हैं।


सोशल मीडिया का प्रभाव: सोशल मीडिया पर ड्रोन उड़ने के वीडियो और कहानियां वायरल हो रही हैं, जिसने इस डर को और बढ़ा दिया है। लोग व्हाट्सएप ग्रुप्स में संदेश भेजकर एक-दूसरे को सतर्क कर रहे हैं। मंदिरों और मस्जिदों के लाउडस्पीकरों से चोरों के आने की घोषणाएं हो रही हैं, जिससे रात में हल्की सी आहट पर भी भीड़ जमा हो जाती है।


पिछली अफवाहों से समानता: यह पहली बार नहीं है कि यूपी में ऐसी अफवाहें फैली हैं। कुछ साल पहले "चोटी कटवा" की अफवाह ने महिलाओं में डर पैदा किया था। इसके अलावा, भूकंप और नमक की कमी जैसी अफवाहें भी लोगों को डरा चुकी हैं। ये सभी घटनाएं इस ड्रोन चोर की कहानी के साथ समानता रखती हैं।


हकीकत की जांच


पुलिस का बयान: पुलिस और प्रशासन ने बार-बार कहा है कि ड्रोन चोर की कहानी अब तक एक अफवाह ही प्रतीत होती है। अमरोहा के एसपी अमित कुमार आनंद और मुरादाबाद के एसपी सिटी ने स्पष्ट किया है कि ड्रोन से चोरी की कोई पुष्ट घटना सामने नहीं आई है। कुछ मामलों में ड्रोन की जगह बच्चों के रिमोट कंट्रोल हेलिकॉप्टर या रील बनाने के लिए उड़ाए गए ड्रोन पकड़े गए हैं।


गलतफहमियां और हिंसा: इस अफवाह के कारण कई निर्दोष लोग हिंसा का शिकार हुए हैं। उदाहरण के लिए:


अमरोहा के मंगरौली गांव में एक मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति को चोर समझकर पीट दिया गया।

बरेली में एक प्रेमी को अपनी प्रेमिका से मिलने जाते समय ड्रोन चोर समझकर भीड़ ने पिटाई कर दी।

कैसरा गांव में प्रेमिका से मिलने गए तीन युवकों को चोर समझकर पीटा गया।


संभावित कारण: पुलिस और स्थानीय लोगों से बातचीत में चार संभावित कारण सामने आए हैं:


1.कुछ शरारती तत्व अफवाह फैलाने के लिए ड्रोन उड़ा रहे हैं।


2.बच्चों के रिमोट कंट्रोल हेलिकॉप्टर को ड्रोन समझ लिया जा रहा है।


3.रात में हवाई जहाज की लाइट को ड्रोन समझने की गलती हो रही है।


4.बिना किसी ठोस सबूत के लोग केवल सुनी-सुनाई बातों पर हल्ला मचा रहे हैं।


ग्रामीणों की प्रतिक्रिया


पहरेदारी: डर के माहौल में ग्रामीण रातभर जागकर लाठी-डंडों और टॉर्च के साथ पहरेदारी कर रहे हैं। कई गांवों में व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं, जहां हल्की सी आहट पर संदेश भेजे जाते हैं, और लोग तुरंत जमा हो जाते हैं।


निजी चेकपोस्ट: कुछ गांवों में स्थानीय लोगों ने निजी चेकपोस्ट बनाए हैं, और रात में चार पहिया वाहनों पर टॉर्च मारकर जांच की जाती है। इससे कई बार निर्दोष लोगों को परेशानी हुई है, जैसे दिल्ली नंबर की कार पर पथराव।


सामुदायिक सतर्कता: गांवों में मंदिर-मस्जिदों के लाउडस्पीकरों से चेतावनी दी जा रही है, और लोग सामूहिक रूप से रात में गश्त कर रहे हैं।


पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई


जांच और सत्यापन: डीआईजी मुनिराज जी ने मंडल के सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को ड्रोन रखने वालों का सत्यापन करने के निर्देश दिए हैं। पुलिस सक्रिय रूप से जांच कर रही है और लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील कर रही है।


जागरूकता अभियान: जिला प्रशासन ने गांवों के प्रधानों और कोटेदारों के साथ बैठकें की हैं ताकि लोगों को जागरूक किया जाए और हिंसा की घटनाओं को रोका जाए।


आम जनता से अपील: पुलिस ने लोगों से कहा है कि किसी भी संदिग्ध वस्तु या व्यक्ति को देखने पर तुरंत 112 पर सूचना दें, न कि खुद हिंसा करें।


ड्रोन का सामान्य उपयोग


ड्रोन एक मानवरहित हवाई यान (UAV) है, जिसे रिमोट से नियंत्रित किया जाता है या यह स्वचालित रूप से उड़ सकता है। इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है, 


जैसे:

फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी: शादी, समारोहों, और फिल्मों में हवाई दृश्य कैप्चर करने के लिए।


कृषि: फसलों की निगरानी और कीटनाशक छिड़काव के लिए।


डिलीवरी: सामान, जैसे पिज्जा या दवाइयां, पहुंचाने के लिए।


सैन्य और निगरानी: जासूसी, टोह, और आतंकवाद विरोधी अभियानों में।


आपदा प्रबंधन: बाढ़, भूकंप आदि में राहत कार्यों के लिए।


ड्रोन से चोरी: तकनीकी संभावना तकनीकी रूप से, ड्रोन का उपयोग रेकी के लिए संभव है। आधुनिक ड्रोन कैमरे और नाइट विजन से लैस हो सकते हैं, जो रात में भी स्पष्ट तस्वीरें ले सकते हैं। हालांकि, ड्रोन से चोरी की रेकी करने के लिए विशेषज्ञता, महंगे उपकरण, और संगठित गिरोह की जरूरत होती है। अभी तक ऐसी कोई पुष्ट घटना सामने नहीं आई है, जिससे यह साबित हो कि चोर बड़े पैमाने पर ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं।


निष्कर्ष


"ड्रोन चोर" की कहानी अभी तक एक अफवाह ही प्रतीत होती है, जिसने सोशल मीडिया और सामुदायिक भय के कारण व्यापक रूप ले लिया है। पुलिस और प्रशासन ने इसे बेबुनियाद बताया है और लोगों से सतर्क रहने, लेकिन हिंसा से बचने की अपील की है। इस डर ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है, और निर्दोष लोगों पर हमले की घटनाएं भी सामने आई हैं। यह स्थिति सामाजिक अफवाहों के खतरों को दर्शाती है, जो कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बन सकती हैं।


सुझाव:


1. अफवाहों पर विश्वास न करें और पुलिस को तुरंत सूचित करें।


2. रात में संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखें, लेकिन हिंसा से बचें।


3. ड्रोन उड़ाने के नियमों के बारे में जागरूक रहें, क्योंकि भारत में ड्रोन उड़ाने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता हो सकती है।



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